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सत्ताधारी वर्ग पेट और भाषा से ऐसे खेलता है

पहले पेट की बात करते हैं। आजकल सरकार मटर की दाल का गुणगान करने में लगी हुई है। अरहर की दाल बहुत महँगी हो गई है और अब तो ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में केवल गंधर्व (सत्ताधारी) ही इस दाल से अपनी सेहत बना सकेंगे। किसानों को गरीबी के कारण आत्महत्या करने को मजबूर करने वाली सरकारों (केवल वर्तमान सरकार को दोष देना ठीक नहीं होगा) ने अब यह साफ़-साफ़ कह दिया है कि हमें मटर की दाल खाना शुरू कर देना चाहिए। सरकार हमें यह बताना चाहती है कि महँगाई के बढ़ने और उदारवादी आर्थिक नीतियों में कोई संबंध नहीं है। अब देखना यह है कि महँगाई पर रोक लगाने में असमर्थ सरकारें आने वाले सालों में हमें क्या-क्या खाने की सलाह देंगी। सत्ताधारी वर्ग को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि जनता क्या खाना चाहती है। सत्ताधारी वर्ग गंधर्वों का जीवन जीता है। इस वर्ग के गंधर्वों को हम जैसे साधारण मनुष्यों से हमेशा यह शिकायत होती है कि हम तिल का ताड़ बनाते रहते हैं। गंधर्वों को लगता है कि किसान भूख या गरीबी के कारण आत्महत्या नहीं करता है। इन गंधर्वों का तलवा चाटने वाले सरकारी अधिकारी और पत्रकार हमें बताते हैं कि आत्महत्या की खबर ...

कानून बड़ा या इनसान

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कभी-कभी यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कानून इनसान के लिए बना है या इनसान कानून के लिए। जर्मनी की एक दंपति की व्यथा सुनकर आप भी शायद इस सवाल से जूझने को मजबूर हो जाएँगे। यह दंपति संतान पैदा करने में असमर्थ थी। अपनी संतान का मुँह देखने की उसकी चाहत भारत आकर पूरी हुई। यहाँ आकर इस दंपति को एक महिला की कोख से पैदा हुए जुड़वा बच्चों के रूप में अपने मन की सौगात मिल गई। लेकिन उनकी यह खुशी केवल कुछ पलों की थी क्योंकि वे अपने बच्चों की नागरिकता के कानूनी पचड़े में फँस गए और अभी तक वे न्यायालयों के चक्कर लगा रहे हैं। जर्मनी में किराए की कोख से बच्चा पैदा करने को कानूनी मान्यता नहीं मिली है। यही वजह है कि दंपति अपने बच्चों को वापस जर्मनी ले जाने में असमर्थ है। इन बच्चों को अभी किसी देश की नागरिकता नहीं मिली है। जर्मनी ने इस दंपति के लिए अपने कानून में किसी तरह की ढील देने से इनकार कर दिया है। इधर पैसों की कमी के कारण बच्चों की जर्मन माँ को अपने देश वापस जाकर कमाई करने का कदम उठाना पड़ा। क्या हम उस माँ की बेचैनी को महसूस कर सकते हैं जो बेवजह के कानूनी झमेलों के कारण अपने बच्चों के सा...