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आज श्रम दिवस है और मैं आर.डी. बर्मन के बारे में बात कर रहा हूँ

आज श्रम दिवस है और इस मौके पर आर.डी. बर्मन को याद करना कुछ लोगों को अटपटा लग सकता है। मैं ऐसे लोगों को पहले उनके एक गाने के बोल पढ़ने को कहूँगा। "ऐसा क्यों होता है / कोई हँसता है, कोई रोता है / दौलत वालों के हाथों में / हर दिन हम बिकते हैं / बस्ती-बस्ती यही सबकी / तकदीरें लिखते हैं / मेरी-तेरी मेहनत का यूँ / सौदा क्यूँ होता है मेरा-तेरा खून-पसीना सिक्कों में ढलता है / फिर भी अपने घर में चूल्हा / कम-कम ही जलता है / मेरी-तेरी जान का दुश्मन / पैसा क्यूँ होता है जाने क्यूँ पैदा होते हैं / जाने क्यूँ मरते हैं / जब तक जीते हैं जीने का / कर्ज़ अदा करते हैं / बेमकसद-बेकार जीना / मरना क्यूँ होता है / कोई हँसता है / कोई रोता है" लिंक : http://ww.smashits.com/player/flash/flashplayer.cfm?SongIds=50739 ऐसे गाने रेडियो पर शायद ही कभी सुनने को मिलते हैं। श्रम के शोषण से जुड़े मामलों को टीवी और रेडियों दोनों पर अधिक महत्व नहीं दिया जाता है। आज मैं सभी मीडियाकर्मियों से अनुरोध करता हूँ कि वे बर्मन जैसे संगीतकार को केवल 'चुरा लिया है तुमने जो दिल को' जैसे गानों के लिए नही

तेरी गठरी में लागा प्रशासन, छात्र जाग जरा...

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आप सोच रहे होंगे कि इस अजीब शीर्षक में गठरी का क्या मतलब है। यह गठरी भारत और दुनिया भर के उन छात्रों की 'सामूहिक शक्ति' है जिसके बल पर वे सत्ता की दमनकारी नीतियों को बदलने में सफलता पाते आए हैं। इस सामूहिक शक्ति से डरने वाली सत्ता नियम-कायदों के नाम पर छात्रों की आवाज़ दबाने का षड्यंत्र करती है। अभी जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) में भी ऐसी ही एक कोशिश हुई है। जेएनयू को भारत के उन चुनिंदा विश्वविद्यालयों में गिना जाता है जहाँ छात्र केवल अपने स्वार्थ के लिए नहीं पढ़ते हैं। यहाँ के छात्र मज़दूरों, अल्पसंख्यकों आदि के अधिकारों के लिए संघर्ष करने से कभी पीछे नहीं हटे हैं और उनकी इस प्रगतिशीलता से घबराने वाले सत्ताधारियों की भी कमी नहीं है। हाल में यहाँ के प्रशासन ने एक ऐसे नियम की घोषणा की है जिसका एकमात्र उद्देश्य छात्रों की गतिविधियों पर पाबंदी लगाना है। इस नियम के अनुसार छात्रों को होस्टल में कोई कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रशासन से एक सप्ताह पहले अनुमति लेनी होगी। छात्रों को यह भी बताना होगा कि कार्यक्रम में कितने लोग शामिल होंगे। यही नहीं, उन्हें प्रशासन को यह भी ब