इंग्लैंड में महिला बिशपों की नियुक्ति का विरोध
यह ख़बर इक्कीसवीं सदी की है! इंग्लैंड के चर्च का एक पादरी-वर्ग चर्च में महिला बिशपों की नियुक्ति के लिए कानून बनाने का विरोध कर रहा है। जब इंग्लैंड जैसे विकसित देश में ऐसा हो सकता है, तो अन्य पिछड़े देशों के बारे में क्या कहा जाए? विरोध कर रहे पादरी-वर्ग का यह कहना है कि अगर महिला बिशपों की नियुक्ति का कानून बना तो वे चर्च से किसी तरह का संबंध नहीं रखेंगे। विरोध-पत्र पर १३०० से अधिक पादरियों ने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने इस कानून को एक शर्त पर अपना समर्थन देने की बात की है। इस शर्त के तहत वह चर्च में पुरुषों के लिए अलग उपासना कक्ष की मांग कर रहे हैं। संसार के किसी धर्म में महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया है। हर धर्म में उसे पुरुषों से कमतर बताया गया है और समाज आज भी धर्म की आड़ में महिलाओं का शोषण कर रहा है। महिला बिशपों की नियुक्ति से आम महिला पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, लेकिन इसके विरोध के पीछे छिपी पुरुषवादी सोच की जितनी निंदा की जाए वो कम है। सबसे दुःख की बात तो यह है कि सदियों से जिन धर्मों ने महिलाओं का शोषण किया है, उन्हें आगे बढ़ाने में महिलाओं की अच्छी...